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ईमान
2015-09-07
ईमान : इस वीडियो में ईमान का अर्थ उल्लेख किया गया है, और वह ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह का ज़ुबान से उच्चारण, दिल से पुष्टि और अंगों से उसकी अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने का नाम है। जो आज्ञाकारिता से बढ़ता और अवज्ञा (पाप) से घठता है। ईमान की सत्तर से अधिक शाखाएं हैं। उनमें सर्वोच्च ला इलाहा इल्लल्लाह का उच्चारण और सबसे कम रास्ते से हानिकारक चीज़ को हटा देना है। हया ईमान की एक शाखा है। इसी तरह ईमान और इस्लाम के बीच अंतर का का विवरण किया गया है।
इस्लाम
2015-09-07
इस्लाम : इस वीडियो में बयान किया गया है कि इस्लाम क्या है? और क्या मानव को इस्लाम की जरूरत है? यह एकेश्वरवाद के साथ अल्लाह के लिए समर्पण, आज्ञाकारिता के साथ उसके अनुपालन और बहुदेववाद एवं बहुदेववादियों से अलगाव का नाम है। तथा इस्लामी धर्म की कुछ विशेषताओं ; न्याय, दया, प्रेम और सहिष्णुता आदि का उल्लेख किया गया है। और यह कि इस्लाम ही लोक परलोक में स्वभाग्य का कारण और पुनर्जन्म में मोक्ष के लिए रास्ता है।
सलात (नमाज़) का तरीक़ा
2015-08-03
सलात (नमाज़) का तरीक़ाः इस वीडियो में सलात (नमाज़) पढ़ने का मुकम्मल तरीक़ा वर्णन किया गया है और इबादत के क़बूल होने की शर्तों का उल्लेख किया गया है।
तयम्मुम का तरीक़ा
2015-08-03
तयम्मुम का तरीक़ाः इस वीडियो में तयम्मुम करने का तरीक़ा, उसकी वैधता के प्रमाणों, तयम्मुम तोड़नेवाली चीज़ों और उन परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जिनमें तयम्मुम करना जायज़ है
स्नान का तरीक़ा
2015-08-03
स्नान का तरीक़ाः इस वीडियो में स्नान करने का तरीक़ा और उन कारणों का उल्लेख किया गया है जिनसे स्नान अनिवार्य हो जाता है।
वुज़ू का तरीक़ा
2015-08-03
वुज़ू का तरीक़ाः इस वीडियो में वुज़ू करने का तरीक़ा वर्णन करते हुए, इबादत के क़बूल होने की शर्तों, वुज़ू की विशेषता व प्रतिष्ठा, वुज़ू तोड़नेवाली चीज़ों का उल्लेख किया गया है
उम्रा का सही तरीक़ा
2015-08-03
उम्रा का सही तरीक़ाः इस वीडियो में उम्रा करने का सही तरीक़ा वर्णन किया गया है।
ज़कातुल फित्र
2015-07-12
ज़कातुल फित्रः इस वीडियो में ज़कातुल फित्र की अनिवार्यता, उसके प्रावधान, उसके अनिवार्य किए जाने की हिकमत (तत्वदर्शिता), उसकी मात्रा, उसके निकाले जाने का समय ओर उसके हक़दार लोगों का उल्लेख किया गया है।
क़ुरआन क्या है
2015-06-23
इस वीडियो में यह उल्लेख किया गया है कि क़ुरआन करीम अल्लाह सर्वशक्तिमान का वचन है, जिसे अल्लाह ने अपने अंतिम सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर सर्वमानवजाति के मार्गदर्शन के लिए अवतरित किया है। अल्लाह ने संपूर्ण क़ुरआन लौहे-महफूज़ से एक ही बार में दुनियावी आकाश पर अवतरित किया, फिर थोड़ा-थोड़ा कर तेईस साल के दौरान आवश्यकता के अनुसार पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया। यह पवित्र ग्रंथ किसी प्रकार के हेर-फेर और परिवर्तन से सुरक्षित है क्योंकि अल्लाह ने इसकी रक्षा की ज़िम्मेवारी स्वयं ली है। यह अल्लाह का अनन्त चमत्कार है जिसके द्वारा अल्लाह ने मानव जाति और जिन्न को इसके समान कोई भी चीज़ प्रस्तुत करने की चुनौती दी है। इस ग्रंथ में स्वयं मानव जाति और उसकी वास्तविकता, इस संसार में उसके कर्तव्यों और उद्देश्य, तथा इस जीवन के बाद महाप्रलय के समाचार और उसकी घटनाओं इत्यादि का वर्णन है।
इस्लाम में कैसे प्रवेश करें
2015-06-23
हिन्दी भाषा में यह एक संक्षिप्त भाषण है जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि इस्लाम धर्म में प्रवेश करने के लिए क्या करना है, तथा इस्लाम में प्रवेश करने के बाद उसे क्या सीखना चाहिए।
इस्लाम में रोज़ा
2015-06-23
प्रस्तुत वीडियो में रमज़ान के महीने के रोज़े की अनिवार्यता, उसके अर्थ, रमज़ान के महीने की फज़ीलत, क़ुरआन व हदीस से उसकी अनिवार्यता के प्रमाणों, और रोज़े की तत्वदर्शिता का उल्लेख किया गया है। इसी तरह रोज़े के कुछ प्रावधानों, जैसे- रोज़े की नीयत, और बिना किसी कारण के रोज़ा तोड़ देने या उसमें लापरवाही करने पर चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है
शाबान के महीने इबादतें और बिदअतें
2015-06-01
इस वीडियो में उल्लेख किया गया है कि शाबान के महीने की क्या फज़ीलत है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम विशिष्ट रूप से इस महीने में क्या कार्य करते थे, तथा पंद्रहवीं शाबान की रात को जश्न मनाने और उसमें हज़ारी नमाज़ पढ़ने, विशिष्ट इबादतें करने, उस दिन रोज़ा रखने, तथा आधे शाबान के बाद रोज़ा रखने, रमज़ान से एक-दो दिन पूर्व रोज़ा रखने और शक्क के दिन रोज़ा रखने के अह्काम स्पष्ट किए गए हैं।
यज़ीद कौन? - 3
2014-11-01
मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।
यज़ीद कौन? - 2
2014-11-01
मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।
यज़ीद कौन? - 1
2014-11-01
मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।
हज्ज एक महान उपासना है
2014-09-08
प्रस्तुत वीडियो में इस्लाम के पाँचवे स्तंभ अल्लाह के पवित्र व सम्मानित घर ’काबा’ के हज्ज के वर्णन पर आधारित है। इसमें हज्ज की परिभाषा, उसकी अनिवार्यता, उसकी प्रतिष्ठा व महानता और इस्लाम धर्म में उसके महत्वपूर्ण स्थान का उल्लेख करते हुए ’’हज्ज मबरूर’’ की शर्तों और हज्ज के धार्मिक व सांसारिक लाभों का वर्णन किया गया है। इसी तरह हज्ज के अर्कान व वाजिबात, हज्ज के भेदों, मीक़ात यानी हज्ज के निर्घारित स्थानों, मीक़ात पर किए जाने वाले कामों, एहराम की विधि, एहराम बाँधने के बाद निषिद्ध हो जाने वाली चीज़ों, मस्जिदे हराम –मक्का मुकर्रमा- पहुँचकर मोहरिम को क्या करना चाहिए, तथा हज्ज की संपूर्ण प्रक्रिया का संक्षेप उल्लेक किया गया है।
इस्लाम ही मानवता के लिए समाधान है
2014-05-27
इस्लाम ही मानवता के लिए समाधान हैः अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मानवजाति को एक महान उद्देश्य के लिए पैदा किया है, और उनके लिए उसकी ओर मार्गदर्शन का प्रबंध किया है। चुनाँचे उनकी ओर सन्देष्टा भेजे, उन पर अपनी पुस्तकें अवतरित कीं। यहाँ तक कि इस अनुकम्पा को परिपूर्ण कर दिया और इस ऋंखला को हमारे सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर संपन्न कर दिया। क्योंकि अल्लाह ने आपको अंतिम सन्देष्टा बनाकर रहती दुनिया तक सभी मानवजाति के लिए संदेशवाहक बनाया है। अतः मानवजाति के लिए जीवन में सौभाग्य, तथा परलोक में मोक्ष और सफलता केवल इस्लाम के मार्ग में है, और वही उनके सभी समस्याओं का समाधान है।
प्रस्तुत व्याख्यान में, यह स्पष्ट किया गया है कि इस्लाम ही मानवता के लिए एकमात्र समाधान क्यों है।
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संदेश की महानता
2014-04-07
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संदेश की महानता : इसमें कोई संदेह नहीं कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित संदेश मानवजाति के लिए अल्लाह का सबसे संपूर्ण और अंतिम संदेश है। इसलिए मानवजाति के लिए इस दुनिया में सौभाग्य और परलोक में मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए अंतिम ईश्वरीय संदेश का अनुसरण व पालन करना है। प्रस्तुत व्याख्यान में, हमारे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संदेश की महानता के कुछ पहलुओं का वर्णन किया गया है।
एकेश्वरवाद (तौहीद) की महानता
2014-03-30
इसमें कोई शक नहीं कि तौहीद (एकेश्वरवाद) इस्लाम धर्म में सबसे महत्वपूर्ण व प्रमुख मुद्दा है, बल्कि यही वह महान मुद्दा है जिसके कारण अल्लाह ससर्वशक्तिमान ने मनुष्य व जिन्नात की रचना की और उसी की ओर आमंत्रित करने के लिए सभी सन्देष्टाओं को भेजा। इसी तरह तौहीद परलोक के दिन जहन्नम में सदैव रहने से बचाव के लिए गारंटी, और स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए सबसे बड़ा कारण है। यही नहीं बल्कि वह इस्लाम और नास्तिकता के बीच अंतर करनेवाला ; और जिसने इस तौहीद का कलिमा पढ़ लिया उसके खून, उसके सतीत्व और उसके धन की रक्षा करनेवाला है। प्रस्तुत व्याख्यान में, एकेश्वरवाद की महानता, इसके महत्व व प्रतिष्ठा के कुछ पहलुओं का वर्णन किया गया है।
सुन्नत पर चलने का महत्व
2013-04-25
सुन्नत पर चलने का महत्व
इस्लाम और वेलेंटाइन दिवस
2012-02-05
हर साल १४ फरवरी को वैलेंटाइन्स दिवस या प्रेमियों का त्योहार या "संत वेलेंटाइन दिवस" मनाना युवा मुसलमानों के बीच बड़े पैमाने पर एक व्यापक घटना बन गया है। प्रस्तुत वीडियो में, इस अधार्मिक परंपरा की बुराई, इसकी उत्पत्ति, उसके इतिहास, उसके बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण, समाज पर उसके बुरे प्रभावों और गंभीर खतरों का खुलासा किया गया है। इसी तरह युवाओं और युवतियों के बीच मिश्रण, प्रेम प्रसंग और अवैध संबंध की बुराइयों और उनके दूरगामी दुष्ट परिणामों से सावधान किया गया है।
एक हिंदू आचार्य के इस्लाम स्वीकारने की कहानी
2012-02-05
यह एक हिंदू आचार्य के इस्लाम स्वीकारने की कहानी है जिसमें उन्हों ने अपने इस्लाम स्वीकारने के कारण का संक्षेप में वर्णन किया है।
इस्लाम धर्म की कुछ विशेषतायें
2011-10-16
इस्लाम ही वह सत्य धर्म है जिसे अल्लाह तआला ने अपने बंदों के लिए पसंद फरमाया है, उसी के साथ अपने संदेश्वाहकों को भेजा और अपनी पुस्तकें अवतरित की हैं, तथा रहती दुनिया तक, अल्लाह सर्वशक्तिमान ने उसे हर समय काल और प्रति स्थान के लिए एक सर्वव्यापी धर्म बनाया है, जिसके अतिरिक्त कोई अन्य धर्म वह किसी भी मनुष्य से कदापि स्वीकार नहीं करेगा। अतः सर्व मानव जाति के लिए इस्लाम का अनुसरण और अनुपालन करना अनिवार्य है। क्योंकि इसी के पालन में उनके लिए लोक व परलोक में सफलता, सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति है। तथा हमारे सृष्टा ने अपने इस धर्म को असंख्य गुणों और विशेषताओं से सुसज्जित किया है, प्रस्तुत भाषण में इस्लाम की कुछ विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है।
हमारे जन्म का उद्देश्य
2011-09-18
हमारे जन्म का उद्देश्य: अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मनुष्य की उत्पत्ति की और धरती की समस्त चीज़ों की रचना करके उनके लिए इस दुनिया में जीवन यापन का बढ़िया प्रबंध किया तथा उन्हें असंख्य अनुकंपाओं और नेमतों से सम्मानित किया। लेकिन बहुत कम ही मनुष्य ऐसे हैं जो इस तथ्य पर मननचिंतन करते हैं कि हमारे जन्मदाता का इसके पीछे कोई लक्ष्य है अथवा उसने मनुष्य को व्यर्थ और अकारण बनाया है ॽ जबकि वास्तविकता यह है कोई बुद्धिमान अकारण कोई काम नहीं करता, तो फिर सर्वबुद्धिमान और सर्वज्ञानी अल्लाह सर्वशक्तिमान की यह रचना उद्देश्यहीन कैसे हो सकती हैॽ बल्कि इस ब्रह्माण्ड और उसके बीच मौजूद सृष्टि में मननचिंतन करने वाला इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि उसका एक महान रचयिता और सृष्टा है और वह अकेला है उसका कोई साझी और सहायक नहीं, वही एक मात्र सृष्टा, जन्मदाता और रचयिता है, वही स्वामी और पालनहार है, वही मृत्यु और जन्म देता है और वही सबको जीविका प्रदान करता है। अतः वही एकमात्र पूजा के योग्य और उपास्य व आराध्य है। वही सत्य पूज्य है और उसके अतिरिक्त जिसकी भी पूजा की जाती है वह असत्य और व्यर्थ है।
वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा
2009-12-17
वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणाः इस धरती पर मानवजाति अनेक पूजा पत्रों की उपासना और आराधना करती है, बल्कि वस्तुस्थिति यह है कि एक ही धर्म के मानने वालों में कई पूज्यो की धारणा पाई जाती है, किन्तु वास्तविकता यह है कि धर्म के मूल ग्रंथों के अध्य्यन से यह स्पष्ट होता है कि हर धर्म में केवल एक ही पूज्य की धारणा मिलती है। इस वीडियो में वेश्विक धर्मों जैसे किः हिन्दुमत, सिखमत, ईसाई-धर्म, यहूदी-धर्म, पारसी धर्म... के मूल ग्रंथों के हवालों से यह प्रमाणित और सिद्ध किया गया है कि सभी धर्मों में केवल एक पूज्य की उपासना का आदेश दिया गया है।
साथ ही साथ इस में श्रोता विशेष कर गैर-मुस्लिमों के विभन्न प्रकार के प्रश्नों का उत्तर दिया गया है।
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